पश्मीना शॉल पर GST की मार, 60-70 प्रतिशत तक गिरा व्यापार

punjabkesari.in Monday, Nov 20, 2017 - 09:33 AM (IST)

नई दिल्लीः जी.एस.टी. की मार अब दुनिया भर में मशहूर कश्मीर के पश्मीना शॉल व्यापार पर भी पड़ने लगी है। पश्मीना शॉल के मैन्युफैक्चरर्ज और होलसेलर्स का कहना है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल व्यापार 60-70 प्रतिशत तक गिर गया है। कारोबारियों का कहना है कि अभी तक पश्मीना पर कोई भी टैक्स नहीं था लेकिन अब जी.एस.टी. लागू होने के बाद इसे भी टैक्स के दायरे में लाया गया है जिससे इसकी कीमतें बढ़ी हैं और बिक्री सुस्त पड़ी है। क्रिसमस और न्यू ईयर के लिए मिलने वाले ऑर्डर भी इस साल कारोबारियों को नहीं मिले हैं। काम कम होने की वजह से कारोबारियों को अपने कारीगरों को काम से हटाना भी पड़ा है।

पश्मीना पर कैसे लग रहा है जी.एस.टी. 
धागे पर जी.एस.टी. 18 प्रतिशत, डाइंग पर 12 और पूरी तरह से तैयार माल पर 5 प्रतिशत जी.एस.टी. है। इसके चलते हैंडलूम और मशीन दोनों से बनी पश्मीना शॉल पर जी.एस.टी. की दर 5 प्रतिशत है।

रॉ मैटीरियल महंगा होने से प्रोडक्शन हुआ कम  
बांडे शॉल्स के आदिल बांडे ने बताया कि जी.एस.टी. की वजह से लोग पहले जहां 2 शॉल खरीदते थे वे अब केवल एक ही शॉल खरीद रहे हैं। वहीं मैन्युफैक्चरर्ज भी कच्चे माल का दाम जी.एस.टी. के बढऩे के चलते कम रॉ मैटीरियल ला रहे हैं, जिससे प्रोडक्शन भी कम है। कश्मीर से इनकी सप्लाई सबसे ज्यादा दिल्ली और नॉर्थ इंडिया में होती है। बाहर के देशों की बात करें तो यूरोप, जर्मनी आदि देशों में भी कश्मीर से पश्मीना शॉल का एक्सपोर्ट होता है।

पहले नहीं था टैक्स, अब लगता है जी.एस.टी. 
अमीन शॉल स्टोर के मालिक नजीर ने बताया कि अभी तक पश्मीना शॉल पर कोई टैक्स नहीं था लेकिन अब यह भी जी.एस.टी. के दायरे में आ गई है जिसके चलते पश्मीना शॉल्स की कीमत में इजाफा हुआ है। पहले से ही महंगी पश्मीना अब और महंगी हो गई है जिससे इसकी बिक्री प्रभावित हुई है। कश्मीर में पर्ल क्राफ्ट्स के मालिक इरफान अहमद ने बताया कि 2016 तक बिजनैस सही चल रहा था। ग्रोथ नहीं थी तो गिरावट भी नहीं थी लेकिन पिछले साल से बिजनैस में गिरावट शुरू हुई और इस साल भी यह सिलसिला जारी है।

केवल कश्मीर में होती है मैन्युफैक्चरिंग 
लद्दाख से पश्मीना वूल कश्मीर आता है और वहां इससे धागे व फिर धागे से पश्मीना शॉल बनाने की प्रोसैस और एम्ब्रॉयडरी कश्मीर में ही होती है। पश्मीना शॉल फुली हैंडमेड होती है लेकिन कहीं-कहीं अब इसे मशीन से बनाया जाने लगा है। भारत में केवल कश्मीर में ही इसकी मैन्युफैक्चरिंग होती है। कश्मीर में कारीगर घर-घर में वूल से धागा बनाते हैं और फिर शॉल बनाई जाती है तथा एम्ब्रॉयडरी की जाती है।

इस सीजन बिजनैस अच्छा होने की नहीं उम्मीद 
कश्मीर वीव कम्पनी लिमिटेड के नाजिर अब्दुल्ला ने बताया कि पिछले साल इस वक्त तक जितना बिजनैस था, उसके मुकाबले इस साल उनके बिजनैस में 70 प्रतिशत तक की गिरावट है। वैसे तो अभी सीजन की शुरूआत ही है लेकिन बाकी के सीजन में बिजनैस बहुत अच्छा जाने की उम्मीद नहीं है। उन्होंने बताया कि नवम्बर तक क्रिसमस पर पूरा किए जाने वाले ऑर्डर आ जाते थे जो लगभग पूरे भी हो जाते थे लेकिन इस बार अभी तक ऑर्डर नहीं आए हैं। उनके यहां पहले 20 लोग काम करते थे लेकिन अब काम न होने के चलते केवल 6 ही लोग काम कर रहे हैं।  


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