GST: नोटबंदी ने लोन ग्रोथ के लिए बैंकों का इंतजार बढ़ाया

punjabkesari.in Tuesday, Sep 12, 2017 - 10:16 AM (IST)

मुम्बई: गुड्स एवं सॢवसेज टैक्स (जी.एस.टी.) नोटबंदी और बैंकरप्सी मामलों से जो उथल-पुथल मची है उससे कार्पोरेट लोन की मांग बढऩे का इंतजार लंबा हो सकता है। बैंक लोन ग्रोथ 55 साल में सबसे कम हो गई है। उसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि प्राइवेट कम्पनियां अब तक अपनी पूरी प्रोडक्शन कैपेसिटी का इस्तेमाल नहीं कर पा रही हैं इसलिए वे नए प्रोजैक्ट में पैसा लगाने को तैयार नहीं हैं। 18 अगस्त तक लोन ग्रोथ 6.3 पर्सैंट थी जो 55 साल में सबसे कम है।

इंडस्ट्रियल, मैन्युफैक्चरिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर और इससे जुड़े दूसरे सैक्टर्स की तरफ से बैंक लोन की मांग बिल्कुल नहीं दिख रही है। बैंकरों का कहना है कि इसकी वजह फंड की कमी नहीं है। उनके मुताबिक कम्पनियां अभी अपनी 70 पर्सैंट प्रोडक्शन कैपेसिटी का ही इस्तेमाल कर पा रही हैं इसलिए उनकी दिलचस्पी इसे बढ़ाने में नहीं है। कोटक महिन्द्रा बैंक में कार्पोरेट, इंस्टीच्यूशनल और इन्वैस्टमैंट बैंकिंग के हैड के.वी.एस. मणियन ने बताया कि कुछ समय से कम्पनियों का कैपेसिटी यूटिलाइजेशन कम बना हुआ है। नोटबंदी और जी.एस.टी. से उनके लिए अनिश्चितता और बढ़ गई है।

जी.एस.टी. को लेकर उलझन
विदेशी निवेशक शेयर बाजार में लगातार पैसा लगा रहे हैं और रिफार्म जारी रखने के सरकार के इरादे पर उन्हें कोई शक नहीं है। जो कम्पनियां पहले से ही नए निवेश को लेकर उलझन में थीं वे जी.एस.टी. की अनिश्चितता के चलते इसमें और देरी कर सकती हैं, इनसाल्वैंसी और बैंकरप्सी कोड (आई.बी.सी.) के कारण कर्ज से दबी कम्पनियों को बेचने की कोशिश हो रही है।

इससे बेहतर रेटिंग वाली कम्पनियों को तैयार एसेट्स मिल सकता है इसलिए वे नया निवेश नहीं करेंगी। अभी जो हालत हैं उनमें कम्पनियां निवेश के लिए इंतजार करना पसंद करेंगी। हम पहले इस वित्त वर्ष के अंत तक लोन ग्रोथ के बढऩे की उम्मीद कर रहे थे लेकिन अब हमें वित्त वर्ष 2019 की दूसरी छमाही में ही इसकी उम्मीद दिख रही है। 


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