GST: बैंकिंग सेवाओं के लिए चुकाना होगा ज्यादा

punjabkesari.in Monday, May 22, 2017 - 10:02 AM (IST)

मुम्बई: बैंकिंग सेवाओं पर 18 प्रतिशत गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जी.एस.टी.) लागू किए जाने के फैसले से अब बैंकों में ट्रांजैक्शन फीस में इजाफा हो सकता है। 1 जुलाई से जी.एस.टी. लागू किए जाने के बाद आपको बैंकों में अधिक चार्ज देने पड़ सकते हैं। बताते चलें कि सरकार ने जी.एस.टी. टैक्स स्लैब के तहत 1211 आइटम्स पर दरें तय की हैं। 5 प्रतिशत से लेकर 28 प्रतिशत तक के 4 स्तरीय टैक्स स्लैब हैं। ज्यादातर वस्तुओं और सेवाओं को 18 प्रतिशत के स्लैब में रखा गया है।

के.पी.एम.जी. के पार्टनर और इनडायरैक्ट टैक्स के हैड सचिन मेनन ने बताया, ‘‘बैंकिंग सेवाओं पर अब तक 15 प्रतिशत का सर्विस चार्ज लगता था। टैक्स की दर में 3 प्रतिशत की इस बढ़ौतरी का मतलब है कि बैंकिंग ट्रांजैक्शन के लिए अदा किए जाने वाले प्रति 100 रुपए में 3 रुपए का इजाफा हो जाएगा। वित्तीय संस्थान इस बढ़े हुए चार्ज को कंपनियों से वसूल सकते हैं जो बल्क यानी कि भारी मात्रा में ट्रांजैक्शंस करती हैं लेकिन इंडिविजुअल्स (व्यक्तिगत) को भी पहले से अधिक भुगतान करना होगा। हालांकि इससे बैंकिंग सैक्टर में मांग पर कोई कमी आने की संभावना नहीं है।’’ उल्लेखनीय है कि बैंकिंग सैक्टर में ज्यादातर कमाई ब्याज पर निर्भर है इसीलिए इसका प्रभाव केवल लेन प्रोसैसिंग, कार्ड चार्जेज आदि तक ही सीमित रह जाएगा।

टी.वी., रैफ्रीजरेटर और ए.सी. की बिक्री गिरने का अंदेशा
टिकाऊ उपभोक्ता सामान बनाने वाली कंपनियों को जी.एस.टी. लागू होने के बाद जुलाई-अगस्त में टी.वी., रैफ्रीजरेटर और ए.सी. की बिक्री प्रभावित होने का अंदेशा है क्योंकि जी.एस.टी. के बाद इनके दाम 4 से 5 प्रतिशत बढ़ सकते हैं लेकिन उन्हें आगामी त्यौहारी सीजन में बड़ी मात्रा में माल बिकने की भी उम्मीद है। जी.एस.टी. लागू होने की वजह से कंपनियों के व्यापार सहायकों का इनपुट कर बढ़ सकता है। हालांकि इसे बिक्री मूल्य बढ़ाकर ठीक किया जा सकता है। कंज्यूमर इलैक्ट्रॉनिक्स एंड एप्लायंसेज मैन्युफैक्चर्ज एसोसिएशन (सिएमा) के अनुसार यह गिरावट अगस्त में ओणम के त्यौहार से शुरू होने वाली बिक्री से सुधर सकती है।

इंश्योरैंस प्रीमियम भी हो सकता है महंगा
जी.एस.टी. लागू होने के बाद मिडल क्लास पर बैंकिंग के बाद दूसरी मार इंश्योरैंस प्रीमियम की पड़ सकती है। बजाज आलियांज जनरल इंश्योरैंस के एम.डी. तपन सिंघल ने कहा, ‘‘जी.एस.टी. में इंश्योरैंस पर टैक्स दर 15 प्रतिशत से बढ़ा कर 18 प्रतिशत करने से प्रीमियम बढऩे की उम्मीद है। ऐसे परिवार जिनके पास कार है और वे हैल्थ व टर्म इंश्योरैंस लिए हुए हैं उन पर सालाना करीब 1000 रुपए का बोझ बढ़ जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि अगर इस टैक्स क्रैडिट का कंपनियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा तो टैक्स प्रीमियम कम हो जाएगा जबकि टैक्स की दर वही रहेगी। वर्णनीय है कि लाइफ  इंश्योरैंस (जीवन बीमा) अलग चीज है। टर्म इंश्योरैंस को रिक्स प्रीमियम की कैटेगरी में रखा गया है और इस पर मोटर व हैल्थ इंश्योरैंस के बराबर टैक्स लगता है। इसके अलावा जीवन बीमा पॉलिसीज हैल्थ कंपोनैंट है इसलिए इस पर अलग तरीके से टैक्स लगता है। इसके परिणामस्वरूप बढ़े हुए टैक्स का बोझ ग्राहक पर पड़ेगा। जो परिवार 20 रुपए से 25,000 रुपए तक हैल्थ कवर, मैडिक्लेम पॉलिसीज पर खर्च करते हैं उनका प्रीमियम 3 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा। ऑटो इंश्योरैंस के प्रीमियम में भी इतनी ही बढ़ौतरी होगी। 


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