किफायती दाम पर मिलेंगे घर, सरकार तैयार कर रही लैंड बैंक

punjabkesari.in Friday, Apr 07, 2017 - 02:13 PM (IST)

नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने 2022 तक सभी को घर देने के चुनावी वादे को पूरा करने का प्रयास शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से सभी सरकारी विभागों को गैर-उपयोगी जमीन (खासतौर पर विकसित सरकारी कॉलोनियों की अनुपयोगी जमीन) की पहचान करने को कहा गया है ताकि अफोर्डेबल हाऊसिंग प्रॉजेक्ट्स की योजना तैयार की जा सके। अधिकारियों ने बताया कि सरकार अफोर्डेबल हाऊसिंग स्कीमों को गति देने के लिए लैंड बैंक तैयार करना चाहती है क्योंकि जमीन की कमी के चलते हाऊसिंग प्रॉजेक्ट्स की योजना बनाने में मुश्किलें आ रही हैं।

पी.एम.ओ. कर रहा है विकास कार्यों की मॉनिटरिंग 
पी.एम.ओ. को इस प्रयास से उम्मीद है कि जमीनों की तलाश की जा सकेगी और फिर राज्य सरकार से कहा जाएगा कि वे इन जमीनों की उपलब्धता को लेकर प्रस्ताव भेजें। एक सीनियर सरकारी अफसर ने बताया, 'पी.एम.ओ. विकास कार्यों की मॉनिटरिंग कर रही है। इससे पता चलता है कि कुछ राज्य दूसरे राज्यों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। अच्छा प्रदर्शन कर रहे राज्यों के पास लाभार्थियों की लिस्ट है और उनके पास जमीन की उपलब्धता की कोई कमी नहीं है। ऐसे में सभी मंत्रालयों को निर्देश दिए गए हैं कि वे ऐसी कॉलोनियों की पहचान करें जहां नए घर का निर्माण किया जा सके।'

16.42 लाख अफोर्डेबल हाऊसेज के निर्माण को मंजूरी
केंद्र सरकार ने अब तक 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 90 हजार करोड़ रुपए के हाऊसिंग प्रॉजेक्ट्स को मंजूरी दी है। शहरी विकास मंत्रालय ने विकसित सरकारी कॉलोनियों में जमीनों का चुनाव शुरू कर दिया है। इन कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाएं पहले से ही उपलब्ध हैं। सरकार ने 16.42 लाख अफोर्डेबल हाऊसेज के निर्माण को मंजूरी दी है, इनमें सबसे अधिक 2.27 तमिलनाडु के लिए हैं। इसके अलावा 1.94 लाख की संख्या के साथ आंध्र प्रदेश दूसरे और 1.81 लाख मकानों के साथ मध्य प्रदेश तीसरे नंबर पर है। 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान बीजेपी ने 2022 तक सबको घर देने का वादा किया था। लेकिन, इस स्कीम को लेकर केरल, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली में कमजोर प्रगति से सरकार चिंतित है।


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