पूंजी मिलने पर सरकारी बैंक MSME क्षेत्र को कर्ज बढ़ाएंगे: जेटली

punjabkesari.in Monday, Nov 13, 2017 - 10:42 AM (IST)

नई दिल्लीः वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए और पूंजी से वे सूक्ष्म, लघु एवं मझोले (एम.एस.एम.ई.) को अधिक कर्ज दे पाएंगे। इससे निजी निवेश का ‘तीसरा इंजन’ चालू हो सके और आर्थिक वृद्धि तेज हो सके और रोजगार के नए अवसर बढ़ें। गौरतलब है कि फंसे कर्ज (एन.पी.ए.) से प्रभावित सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत बनाने के इरादे से पिछले महीने सरकार ने दो साल की एक वृहद योजना पेश की जिसमें 2.11 लाख करोड़ रुपए की पूंजी उनमें डाली जाएगी। इसमें पुन:पूंजीकरण बांड तथा बजटीय समर्थन शामिल हैं।

वृद्धि के इंजन के रूप में सार्वजनिक निवेश और एफ.डी.आई. (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) प्रवाह बढ़ा है लेकिन तीसरा इंजन (निजी निवेश) अब भी कम है। जेटली ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के शीर्ष अधिकारियों की बैठक ‘पीएसबी मंथन’ को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘सरकार बड़े पैमाने पर सार्वजनिक धन खर्च कर रही है और विदेशी निवेश आ रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें तीसरे इंजन (निजी निवेश) में तेजी, मजबूत निजी क्षेत्र तथा एमएसएमई क्षेत्र की जरूरत है ताकि संभावना के अनुसार हम अनुकूलम वृद्धि दर हासिल कर सके।’’ उन्होंने कहा कि बैंक जिन प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान देना है, उसमें एक सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को समर्थन देना शामिल है क्योंकि क्षेत्र रोजगार सृजित कर रहा है और अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रहा हैं जबकि उसकी बांड बाजार या अंतरराष्ट्रीय वित्त तक पहुंच नहीं है।

जेटली ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों की बैठक ‘पीएसबी मंथन’ को यहां संबोधित करते हुए कहा कि सरकार बजट से, बांड निर्गम और बैंकों की शेयर पूंजी के विस्तार के जरिए उनमें और पूंजी डालने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि एक तरह से देखा जाए तो बैंकों की वित्तीय स्थिति बेहतर करने के लिये देश उन्हें पैसा दे रहा है। वित्त मंत्री ने बैंक प्रमुखों को आश्वस्त किया कि आपको यह देखने को नहीं मिलेगा कि हम वाणिज्यकि लेन-देन में हस्तक्षेप कर रहे हैं लेकिन जब व्यवस्था ये सब बदलाव कर ही और बैंकों को मजबूत करने के लिए ये सभी मौद्रिक योगदान दिए जा रहे हैं तो चाहते है कि सरकारी बैंकिंग प्रणाली खूब मजबूत हो ताकि वह आर्थिक वृद्धि मदद देने की आपकी क्षमता स्वयं ऊंची हो सके। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्ति जून 2017 को बढ़कर 7.33 लाख करोड़ रुपए हो गई जो मार्च 2015 में 2.78 लाख करोड़ रुपए थी। साढ़े तीन साल में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 51,000 करोड़ रुपए से अधिक की पूंजी डाली है।


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