कृषि ऋणमाफी से इन किसानों को नहीं मिलेगी राहत, जानिए क्यों?

punjabkesari.in Sunday, Jun 18, 2017 - 01:16 PM (IST)

नई दिल्लीः किसानों के देशव्यापी असंतोष से निबटने के लिए यदि राज्य सरकारें कृषि ऋण माफी का रास्ता चुनती हैं तो सरकारी खजाने पर 3 लाख 10 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ आएगा तथा सेठ साहूकारों से कर्ज लेने वाले देश के 2 करोड़ 21 लाख सीमांत किसानों को इसका कोई फायदा नहीं मिलेगा।   

सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र से जुडे मुद्दों का अध्ययन करने वाली गैर सरकारी संस्था ‘इंडियास्पेंड’ की ताजा रिपोर्ट में यह बात कही गई है। इसके अनुसार उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र सरकारों के क्रमश 36,359 करोड़ और 30 हजार करोड़ रुपए की ऋण माफी घोषणा के साथ ही पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु, गुजरात, मध्यप्रदेश और कर्नाटक में भी किसानों ने कर्ज माफी की मांग तेज कर दी है। सरकारें अगर इस मांग को मान लेती हैं तो भी किसानों की समस्या का स्थायी समाधान नहीं होगा।  

रिपोर्ट के अनुसार देश में कुल किसान आबादी का 67.5 प्रतिशत छोटे सीमांत किसान है जिन्हें कर्ज माफी से कोई फायदा मिलने की उम्मीद नहीं है। देश की खेतिहर जमीन में से 85 फीसदी खेतों की जोत दो हेक्टेयर से भी कम है। कृषि मंत्रालय के आंकडों के अनुसार वर्ष 1951 के बाद से गांवों में प्रति व्यक्ति भूमि स्वामित्व में लगातार कमी आई है। आगे इसके और घटने के आसार हैं। इन छोटे-छोटे खेतों में काम करने वाले किसानों की आर्थिक स्थिति इतनी बदहाल है कि वह खेती के लिए नए उपकरण नहीं खरीद पाते। उन्हें खेतों में श्रमिकों से ही काम चलाना पड़ता है। इससे एक तो उत्पादन घटता है, दूसरा लागत ज्यादा आती है और मुनाफा भी कम होता है। इन छोटे किसानों के लिए संस्थागत ऋण हासिल करने के अवसर सीमित रह जाते हैं। 

रिपोर्ट के अनुसार देश में हर तीन में से एक सीमांत किसान ही संस्थागत ऋण हासिल कर पाता है। लिहाजा बाकी को कर्ज के लिए साहूकारों पर निर्भर रहना पड़ता है। ऐसे में जिन 8 राज्यों में कृषि ऋण माफी की मांग उठी हैं वहां केवल एक करोड 6 लाख सीमांत किसान ही लाभान्वित होंगे बाकी इससे वंचित रह जाएंगे। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News