बिटकॉइन की ट्रेडिंग करने वालों की लिस्ट तैयार करने लगी ED

punjabkesari.in Friday, Jan 05, 2018 - 09:52 AM (IST)

जालंधरः ड्रग मनी व हवाला राशि में बिटकॉइन की संलिप्तता की बात सामने आने के बाद देश की सभी एजैंसियां सतर्क हो गई हैं। बिटकॉइन की ट्रेडिंग करने वालों की जल्द ही शामत आने वाली है। इंफोर्समैंट डायरैक्टोरेट (ई.डी.) ने बिटकॉइन की ट्रेडिंग करने वालों की लिस्ट तैयार करनी शुरू कर दी है। ई.डी. की इस कार्रवाई के बाद बिटकॉइन की ट्रेडिंग करने वालों में हड़कंप मच गया है।

ड्रग मनी में बिटकॉइन की संलिप्तता खंगालने में जुटी STF
ड्रग मनी में बिटकॉइन की संलिप्तता खंगालने में स्पैशल टास्क फोर्स (एस.टी.एफ.)भी जुट गई है। वहीं हवाला कारोबारियों के इस गोरखधंधे पर एजैंसियां पूरी नजर रख रही हैं। गौरतलब है कि क्रिप्टो करंसी बिटकॉइन ने देशभर में तहलका मचाया हुआ है। इसमें देश के लाखों लोग निवेश कर चुके हैं। बिटकॉइन के रेट में अचानक वृद्धि के बाद तो यह चर्चा का विषय बना हुआ है। ‘पंजाब केसरी’ ने बिटकॉइन के जरिए देशभर में मनी लांड्रिंग व ड्रग मनी के चल रहे खेल का पर्दाफाश किया था। जालंधर के कई बड़े हवाला कारोबारी व ड्रग माफिया बिटकॉइन के जरिए ही अब पूरा खेल खेल रहे हैं। ई.डी. की सक्रियता के कारण पहले भी पंजाब में ड्रग माफिया और हवाला कारोबारियों के खेल का पर्दाफाश होता रहा है। अब ड्रग माफिया ने पुलिस व ई.डी. के शिकंजे से बचने के लिए अपने खेल में कुछ बदलाव किए हैं। अब बिटकॉइन के जरिए ड्रग में पैसा लगाया जा रहा है। बिटकॉइन के जरिए ही ड्रग मनी का आदान-प्रदान किया जा रहा है। यही नहीं इसके जरिए हवाला राशि को भी इधर-उधर किया जा रहा है। पंजाब पुलिस को इस दो नंबर के खेल की भनक तक नहीं है।

बिटकॉइन पर केंद्रीय बैंकों का नियंत्रण नहीं
पारम्परिक मुद्राओं पर जहां केेंद्रीय बैंकों का नियंत्रण होता है, वहीं बिटकॉइन पर ऐसा कोई नियंत्रण नहीं है। यूजर्स, माइनर्स और निवेशकों को मिलाकर बनी एक कम्युनिटी बिटकॉइन को संभालती है। आज तक पता नहीं चल पाया है कि बिटकॉइन बनाने वाले सातोशी नाकामोतो हैं कौन। आस्ट्रेलियाई कम्प्यूटर वैज्ञानिक और उद्योगपति क्रेग राइट ने मई 2016 में दावा किया कि वह सातोशी नाकामोतो हैं, लेकिन वह इसका प्रमाण नहीं दे पाएं। अभी तक सिर्फ 1.67 करोड़ बिटकॉइन ही जारी किए गए हैं। अभी हर दस मिनट में 12.5 बिटकॉइन जारी किए जाते हैं। माइनिंग कम्प्यूटरों को चलाने के लिए बहुत ऊर्जा चाहिए। जितना ज्यादा दाम लगता है, उतने ही ज्यादा  कम्प्यूटर  मुकाबले में उतरते हैं। उसी हिसाब से ऊर्जा की खपत बढ़ जाती है। 
 


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