सोने की मांग 17 साल में सबसे ज्यादा, ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ी डिमांडः WGC

punjabkesari.in Tuesday, Feb 06, 2018 - 01:16 PM (IST)

नई दिल्लीः वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2017 के दौरान भारत में ज्वैलरी के लिए सोने की मांग में 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2017 के दौरान देश में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) लागू होने के बावजूद सोने की मांग में जोरदार बढ़ोतरी देखने को मिली है।

रिर्पोट के मुताबिक केंद्र सरकार की तरफ से फसलों के बढ़ाए हुए समर्थन मूल्य से किसानों को लाभ हुआ जिस वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में जवैलरी के लिए सोने की मांग बढ़ी है। 2017 के दौरान ज्वैलरी के लिए देश में कुल 562.7 टन सोने की मांग दर्ज की गई है जबकि 2016 में 504.5 टन सोने की मांग दर्ज की गई थी।

एंटी मनी लॉन्ड्रिंग कानून हटाने से सोने की मांग में हुई बढ़ोतरी 
WGC के मुताबिक 2017 की चौथी तिमाही यानि अक्टूबर से दिसंबर 2017 के दौरान देश में ज्वैलरी के लिए सोने की मांग 4 प्रतिशत बढ़कर 189.6 टन दर्ज की गई है जो 17 सालों में चौथी तिमाही के लिए सबसे अधिक मांग है। इस दौरान त्योहारी सीजन होने की वजह से मांग में इजाफा हुआ था साथ में सरकार ने ज्वैलर्स को राहत देने के लिए उनपर से एंटी मनी लॉन्ड्रिंग कानून हटाया था जिससे भी सोने की मांग में बढ़ोतरी हुई है।

आने वाले दिनों में सोने की मांग होगा इजाफा
WGC के मुताबिक GST के प्रति देश की सोने की मार्कीट अब सहज हो गई है जिस वजह से आने वाले दिनों में सोने की मांग में और भी बढ़ोतरी हो सकती है, इसके अलावा ऑर्गेनाइज्ड ज्वैलरी रिटेलर और चेन स्टोर्स की बिक्री भी शानदार रही है। इन परिस्थितियों में आने वाले दिनों में सोने की मांग में इजाफा बना रह सकता है।

निवेश के लिए भी बढ़ी सोने की मांग
WGC के मुताबिक 2017 के दौरान भारत में सिर्फ ज्वैलरी के लिए ही सोने की मांग नहीं बढ़ी है बल्कि निवेश के लिए भी ज्यादा सोना खरीदा गया है। 2016 में भारत में निवेश के लिए 161.6 टन सोने की खरीद की गई थी जबकि 2017 में यह खरीद बढ़कर 164.2 टन दर्ज की गई है। कुल मिलाकर 2017 के दौरान भारत में सोने की मांग 727 टन दर्ज की गई है जो 2016 के मुकाबले 9 प्रतिशत अधिक है। हालांकि दूसरी तरफ वैश्विक स्तर पर सोने की मांग 8 साल में सबसे कम दर्ज की गई है, WGC के मुताबिक 2017 के दौरान वैश्विक स्तर पर सोने की मांग 4071.7 टन दर्ज की गई है जो 2016 के मुकाबले 7 प्रतिशत कम और 2009 के बाद सबसे कम सालाना मांग है।


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