GST की समस्या में उलझीं एस.एम.ई. यूनिट्स

punjabkesari.in Saturday, Aug 12, 2017 - 11:01 AM (IST)

मुम्बई: जी.एस.टी. पेश किए जाने के एक महीना बाद देश में रोजगार पैदा करने के मामले में बेहद अहम, स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एस.एम.ई.) सैग्मैंट को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और इनमें से ज्यादातर को रैगुलेटरी नॉम्र्स का पालन करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। कंप्लायंस की मुश्किल कई चीजों से जुड़ी है। मसलन गैर-रजिस्टर्ड वैंडरों और सप्लायर्स के साथ डिलिंग, न्यू रिवर्स चार्ज, मैकेनिज्म को अपनाने, कुछ क्षेत्रों में नए रैगुलेशंस पर समझ और साफगोई की कमी तथा सिस्टम में आने की ‘अनिच्छा’ आदि।

राजस्थान के कोटा की इकाई गोविंद मित्तल एंटरप्राइजेज ने बताया, ‘‘कई क्षेत्रों में सरकारी पैमाने स्पष्ट नहीं हैं। छोटे ट्रेडर्स, वैंडर्स और सप्लायर्स इसलिए परेशान हैं क्योंकि उन्हें यह नहीं पता कि आर.ए.सी.एम. से कैसे निपटना है। यह छोटे सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए अतिरिक्त ट्रांजैक्शन है। उन्हें लगता है कि अगर इस रकम को बाद में वापस भी कर दिया जाएगा तो वे जी.एस.टी.एन. का हिस्सा बनने का सिरदर्द क्यों पालें। कई स्माल ट्रेडर्स निगरानी के तहत काम करना पसंद नहीं करते।

जी.एस.टी. नैटवर्क के चेयरमैन नवीन कुमार ने भी हालिया इंटरव्यू में कहा था कि बड़ी संख्या में सैल्फअटैस्ट रिटर्न फाइल करने की 20 अगस्त की समय सीमा से पहले जी.एस.टी. नियमों का पालन करने की स्थिति में नहीं हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक भारत में करीब 45 लाख एस.एम.ई. हैं जिनमें से एक-तिहाई ने जी.एस.टी. के लिए अब तक रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया है। पी.डब्ल्यू.सी. के पार्टनर प्रतीक जैन का कहना है कि बड़ी संख्या में एस.एम.ई. को लग रहा था कि यह लागू नहीं होगा, लिहाजा उन्होंने इसको लेकर पहले तैयारी नहीं की थी, हालांकि सरकार की तरफ से व्यापारियों को जागरूक करने के लिए शुरू किए गए प्रोग्राम में भी देरी हुई है परन्तु सरकार ने बहुत कम समय में बड़ी संख्या में व्यापारियों तक पहुंच की है। 
 


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