बुरी खबर, अब इन क्षेत्रों को बैंक से नहीं मिलेगा उधार

punjabkesari.in Sunday, May 14, 2017 - 01:10 PM (IST)

नई दिल्लीः बिजली, दूरसंचार और खनन क्षेत्र अत्यधिक कर्जग्रस्त हैं और बैंक इन क्षेत्रों को उधार नहीं दे पा रहे हैं। कर्जदाता और देनदार दोनों ही उदासीन हैं और आगे भी ऐसी ही स्थिति जारी रहने की संभावना है, जब तक कि बैंक अपने गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) की समस्या दूर नहीं कर लेते। ASSOCHAM के एक पेपर में यह बात कही गई है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए पेपर में कहा गया है कि खनन क्षेत्र मांग और कीमतों में गिरावट से जूझ रहा है।

वित्त वर्ष 2016-17 में बैंकों द्वारा इस क्षेत्र को दिए जाने वाले कर्ज में 11.5 फीसदी की गिरावट हुई और 2017 के मार्च महीने में कुल 345 अरब रुपए का कर्ज दिया गया, जबकि इसके पिछले साल के मार्च महीने में 390 अरब रुपए के कर्ज दिए गए थे। कोयले की मांग घटी है और तापीय बिजली संयंत्र को लेकर निराशाजनक दृष्टिकोण है। इन संयंत्रों ने मांग बढ़ने और अच्छे कारोबार की संभावना को देखते हुए अपनी क्षमता में वृद्धि की थी, लेकिन अब कोयला और कोयला आधारित बिजली संयंत्र दोनों अनिश्चितता के शिकार हैं इसलिए इन क्षेत्रों में अब विस्तार के लिए कर्ज लेने की भूख नहीं दिखती। 

बिजली क्षेत्र में कर्ज कमी 
बिजली क्षेत्र में कर्ज में 9.4 फीसदी की कमी देखी गई है। इस क्षेत्र को साल 2017 के मार्च में 5,256 अरब रुपए का कर्ज मिला, जबकि एक साल पहले यह 5,799 अरब रुपए था। यह क्षेत्र भी कर्जग्रस्त है और बिजली की कीमतें न बढ़ने से परेशान है। सरकारी वितरण कंपनियां बिजली के दाम नहीं बढ़ाना चाहती है। वहीं, सौर ऊर्जा से भी इन्हें प्रतिस्पर्धा मिल रही है, जिसे सरकार सब्सिडी दे रही है। 

दूरसंचार क्षेत्र में भी गिरावट
दूरसंचार क्षेत्र में स्पेक्ट्रम की बोली और टैरिफ में तीव्र प्रतिस्पर्धा के कारण दूरसंचार क्षेत्र को भी बैंकों से मिलने वाले कर्ज में गिरावट आई है। पेपर में बताया गया कि दूरसंचार क्षेत्र को बैंकों से मिलने वाले कर्ज में 6.8 फीसदी की गिरावट आई और यह 913 अरब रुपए से घटकर 851 अरब रुपए रही हालांकि लोहा और स्टील क्षेत्र को बैंकों से मिलने वाले कर्ज में 2.6 फीसदी की बढ़त देखी गई और यह 3,155 अरब रुपए से बढ़कर 3,195 अरब रुपए हो गई।
 


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