Fortune की सालाना अंडर 40 सूची में भारतीय मूल के 5 लोग

punjabkesari.in Friday, Aug 18, 2017 - 01:54 PM (IST)

न्यूयार्कः आयरलैंड के प्रधानमंत्री लियो वरादकर समेत भारतीय मूल के पांच लोग फार्चून की 40 युवा और प्रभावी लोगों की सूची में शामिल किए गए हैं। सूची में उन लोगों को जगह दी गई है जिन्होंने अपन काम से अन्य को प्रोत्साहित किया। फार्चून की 2017 ‘40 अंडर 40’ सूची सर्वाधिक प्रभावी युवा लोगों की सालाना सूची है। ये वे लोग हैं जिनकी उम्र 40 साल से कम है और अपना काम कर रहे हैं। पत्रिका ने ऐसे लोगों को नवप्रर्वतक, विद्रोही और कलाकार तथा अन्य को प्रोत्साहित करने वाला बताया।
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फ्रांस के राष्ट्रपति पहले स्थान पर
सूची में फ्रांस के 39 साल के राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रोन पहले पायदान पर हैं। सूची में फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग दूसरे स्थान पर हैं। मैक्रोन नेपोलियन के बाद सबसे युवा नेता हैं जिन्होंने मई में राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की। सूची में भारतीय मूल के लोगों में 26 साल की दिव्या नाग, 31 साल के ऋषि शाह, शारदा अग्रवाल (32) तथा सैमसोर्स की सी.ई.ओ. तथा संस्थापक लीला जाना शामिल हैं। दिव्या नाग (27वें स्थान पर) एपल की महत्वकांक्षी रिसर्चकिट और केयर किट कार्यक्रम को देखती हैं और संबंधित लोगों को स्वास्थ्य संबंधित एप के विकास के लिए प्रोत्साहित करती हैं। दिव्या ने स्टेम सेल शोध स्टार्टअप की स्थापना की और चिकित्सा क्षेत्र में निवेश को गति दी। ऋषि शाह तथा शारदा अग्रवाल (38वें स्थान पर) 10 साल से अधिक समय से स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी कंपनी आउटकम हेल्थ का जिम्मा संभाल रही हैं। दोनों ने 40,000 से अधिक डाक्टरों के कार्यालयों में टच स्क्रीन और टैबलेट लगाया जो संबंधित चिकित्सा सूचना तथा संबंधित जानकारी देता है। 
PunjabKesariसूची में 5 भारतीय मूल के लोग
38 वर्षीय लियो वरादकर सूची में पांचवें पायदान पर हैं। उनके पिता का जन्म भारत में हुआ था। फार्चून के अनुसार आयरलैंड में काफी प्रवासी हैं लेकिन उसके नए प्रधानमंत्री का व्यक्तित्व अलग है। वह मुंबई से यहां आए प्रवासी हिंदू परिवार के हैं। पूर्व में डाक्टर रहे वरादकर आयरलैंड के सबसे युवा नेता हैं। फार्चून की सूची में लीला 40वें स्थान पर हैं। भारतीय प्रवासी की पुत्री लीला का गैर-सरकारी संगठन सैमसोर्स इस साल 1.5 करोड़ डॉलर हासिल करने के रास्ते पर है। वह वैश्विक स्तर पर गरीबी समाप्त करने के लिए काम पर जोर देती हैं न कि परमार्थ कार्यों पर। 


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