‘इस्लाम विरोधी’ होने का ‘टैग’ लगाकर बॉलीवुड फिल्मों पर पाबंदी लगाता है पाकिस्तान

punjabkesari.in Tuesday, Mar 20, 2018 - 03:54 AM (IST)

पाकिस्तान का निर्माण ही इस्लाम के नाम पर हुआ है इसलिए वहां जब-तब इस्लाम के नाम पर हंगामा मचता रहता है। इस्लाम में नाच-गाना  हराम है, पर पाकिस्तान के निर्माण के बाद वहां सिनेमा बैन नहीं हुआ। हां, कुछ समय के लिए धीमा जरूर हो गया। आजादी के पहले लाहौर फिल्मोद्योग का सबसे बड़ा केंद्र था। 

मुम्बई में भी फिल्में बनती थीं पर लाहौर का जवाब नहीं था। मगर आजादी के बाद पाकिस्तानी हुक्मरानों की जाहिलता ने लॉलीवुड (लाहौर) को बर्बादी की कगार पर पहुंचा दिया। पाकिस्तान में उर्दू में ज्यादा फिल्में बनती हैं। उन फिल्मों की गुणवत्ता काफी घटिया होती है इसलिए पाकिस्तानी दर्शक उन फिल्मों को देखना ज्यादा पसंद नहीं करते। इसका नतीजा यह हुआ कि पाकिस्तान में सिनेमाघरों की हालत खस्ता होती गई और आॢथक तंगी के कारण वे बंद होते चले गए। फिर उनको सहारा मिला बॉलीवुड से। हालांकि पाकिस्तान ने वहां कई बार हिंदी फिल्मों को बैन किया है। फिर वहां के वितरकों व सिनेमाघर वालों का दबाव पड़ता है तो बैन हट भी जाता है। बावजूद इसके वे बीच-बीच में किसी न किसी ङ्क्षहदी फिल्म पर बैन लगाते रहते हैं। 

हाल ही में रिलीज हुई अनुष्का शर्मा की फिल्म ‘परी’ को पाकिस्तान ने बैन किया है। यहां तक तो बात समझ में आती है, पर पाकिस्तान ने इस फिल्म को बैन करते हुए जो तर्क दिया है वह काफी हास्यास्पद है। पाकिस्तान का कहना है कि ‘परी’ एंटी इस्लामिक फिल्म है। मजे की बात है कि ‘परी’ में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे एंटी इस्लामिक कहा जा सके। इसके पहले पाकिस्तान में मनोज वाजपेयी की फिल्म ‘अय्यारी’ को बैन कर दिया गया था। अक्षय कुमार की फिल्म ‘पैडमैन’ को भी पाकिस्तान ने एंटी इस्लामिक बताते हुए बैन कर दिया था। इसके पहले ‘पद्मावत’ को भी पाकिस्तान के सैंसर बोर्ड ने बैन कर दिया था पर बाद में काफी हील-हुज्जत के बाद फिल्म रिलीज हुई। 

फिल्म देखने के बाद काफी पाकिस्तानियों का कहना था कि ‘पद्मावत’ में खिलजी को खलनायक के तौर पर दिखाया गया है, जोकि मुसलमानों का अपमान है। पाकिस्तान में बॉलीवुड की उन फिल्मों को बैन कर दिया जाता है, जिनमें थोड़ा भी एंटी पाकिस्तान मैटीरियल होता है। ‘शिवाय’, ‘फैंटम’, ‘बेबी’, ‘नीरजा’ आदि फिल्मों में पाकिस्तान का बुरा स्वरूप दिखाया गया इसलिए वहां इन्हें बैन कर दिया गया था। हाल के वर्षों  में पाकिस्तान ‘ट्यूबलाइट’, ‘टाइगर जिंदा है’, ‘दंगल’, ‘नाम शबाना’, ‘जॉली एल.एल.बी.’, ‘रईस’, ‘उड़ता पंजाब’  जैसी फिल्मों पर आपत्ति जताते हुए इन्हें बैन कर चुका है। 

पाकिस्तान में पाकिस्तानी फिल्में चलती नहीं और उन्हें बॉलीवुड का ही सहारा है। एक दशक पहले वहां 300 सिनेमाघर थे, जो अब घटकर 100 के आस-पास रह गए हैं। अब अगर वहां ङ्क्षहदी फिल्मों पर बैन लगता रहा तो थिएटरों की यह संख्या और भी तेजी से गिरेगी तथा निकट भविष्य में शायद वहां सिनेमाघर का अस्तित्व ही खत्म हो जाए और इसका जिक्र सिर्फ इतिहास के पन्ने तक सिमट कर रह जाए। दरअसल पाकिस्तानी दर्शकों के बीच बॉलीवुड काफी लोकप्रिय है। यहां के सितारे वहां घर-घर में लोकप्रिय हैं। पाकिस्तान के मशहूर हास्य नाटककार उमर शरीफ का कोई भी नाटक बिना किसी हिंदुस्तानी फिल्मी सितारे का नाम लिए पूरा नहीं होता। पाकिस्तान के तमाम टी.वी. शोज  में भी हिंदुस्तानी फिल्मी सितारों की खूब चर्चा होती है। 

पाकिस्तान के 2 दर्जन से भी ज्यादा कलाकार मुम्बई आकर फिल्मों में दाव आजमाते हुए अच्छा पैसा कमाकर अपने देश ले जा चुके हैं। हैरानी की बात यह है कि ये कलाकार यहां टूरिस्ट वीजा लेकर आते हैं और महीनों तक टिके रहकर पैसा बनाते हैं। सरकार को सब पता रहता है पर दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय क्रिकेट मैच बैन करने वाली सरकार ने बॉलीवुड को खुला रख छोड़ा है। सिनेमा के व्यापार पर कोई रोक नहीं है। 2008 में पाकिस्तान की एक फिल्म ‘खुदा के लिए’ हिंदुस्तान में रिलीज हुई थी, जो 43 वर्षों बाद हिंदुस्तान में रिलीज होने वाली पहली पाकिस्तानी फिल्म थी। इसके बाद कुछ फिल्में आईं पर उन्हें कोई फोकस नहीं मिला।

2011 में एक फिल्म ‘बोल’ आई थी, जिसकी थोड़ी चर्चा हुई थी। वहां की फिल्में यहां टिक नहीं पातीं इसलिए वे घाटे का सौदा होती हैं। हिंदुस्तान में किसी पाकिस्तानी फिल्म को धर्म के आधार पर बैन नहीं किया गया मगर पाकिस्तान में बॉलीवुड की फिल्मों पर एंटी इस्लामिक टैग लगा दिया जाता है। यह बॉलीवुड का अपमान नहीं क्या? यह पाकिस्तान की घटिया सोच का परिचायक है। आज देश में बहुत से लोग हैं जिनका मानना है कि जब आतंकवादी देश पाकिस्तान से सरकार ने हर तरह के संबंध तोड़ रखे हैं तो फिर फिल्मी संबंध को बरकरार रखने का क्या औचित्य है? यह भी नहीं रहना चाहिए। केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने हाल ही में पाकिस्तानी कलाकारों को बैन करने की बात की थी। बाबुल खुद सरकार के मंत्री हैं। सिर्फ बातें ही क्यों, एक्शन में आना होगा। वर्ना ‘क्रिकेट नहीं खेलेंगे और फिल्मी कारोबार करेंगे’ की यह दोहरी नीति हास्यास्पद ही कही जाएगी।-श्रीकिशोर शाही


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