लुधियाना में भीषण अग्निकांड 30 से अधिक लोग दबने की आशंका

punjabkesari.in Tuesday, Nov 21, 2017 - 03:58 AM (IST)

नागरिक आबादी से सटे  इंडस्ट्रीयल एरिया ए लुधियाना में सूफियां चौक के पास 20 नवम्बर सुबह 6.45 बजे के लगभग प्लास्टिक के लिफाफे बनाने वाली एमर्सन पोलिमर फैक्टरी की 6 मंजिला इमारत की ऊपरी मंजिल में आग लग गई जिसने वहां पड़े कैमिकल को अपनी चपेट में ले लिया। फलस्वरूप पूरी बिल्डिंग आग की लपटों से घिर गई। 

आग लगने के वास्तविक कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया परंतु अनुमान लगाया जा रहा है कि संभवत: यह आग शार्ट सर्किट की वजह से ही लगी है। जिस समय आग लगी उस समय फैक्टरी बंद थी और अभी काम शुरू भी नहीं हुआ था। देखते ही देखते फैक्टरी में अफरा-तफरी मच गई और लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे और पूरी इमारत धुएं से भर गई। बताया जाता है कि कुछ घंटे बाद जब यह मान लिया गया कि आग बुझ चुकी है तभी कुछ दमकल कर्मचारियों व अधिकारियों सहित कुछ लोग इमारत के अंदर गए सारी इमारत गिर गई। आग का तापमान इतना अधिक था कि लैंटर तथा बीम में पड़ा सरिया तक पिघल गया। यह भी बताया जाता है कि इससे पूर्व 3 धमाके भी हुए थे। इमारत में 15 फायर कर्मियों और फैक्टरी वर्करों सहित 30 लोगों के दबे होने की आशंका है। इस अग्निकांड के फलस्वरूप आसपास के लगभग 1 दर्जन मकान भी प्रभावित हुए हैं। 

एक समाचार के अनुसार इमारत के भीतर भारी मात्रा में प्लास्टिक का सामान होने के कारण आग पर काबू पाने में दमकल कर्मचारियों को काफी मशक्कत का सामना करना पड़ा तथा समाचार लिखे जाने तक 3 लोगों की लाशें मलबे से बाहर निकाली जा चुकी थीं जबकि बाकियों की तलाश अभी भी जारी थी। मलबे में फायर ब्रिगेड कर्मचारियों के अलावा कई अन्य लोगों के फंसे होने की भी खबर है जबकि इमारत के भीतर मौजूद लोगों की सही संख्या बारे कोई जानकारी इन पंक्तियों के लिखे जाने तक नहीं मिल पाई थी। बचाव के लिए एन.डी.आर.एफ., बी.एस.एफ. व जालंधर से पी.ए.पी., सेना व एम्बुलैंस की टीमें घटनास्थल पर पहुंच गईं। घटना में भारतीय वाल्मीकि धर्म समाज (भावाधस) नेता लक्ष्मण द्रविड़ के दबे होने की भी खबर है।

अधिकारियों का कहना है कि दुर्घटना की शिकार इमारत पुरानी और 1997 से पहले की बनी होने के कारण फिलहाल यह बता पाना कठिन है कि इसके निर्माण में जरूरी नियमों आदि का पालन किया गया था या नहीं। आज शहरों की आबादी बहुत बढ़ गई है और ऊंची-ऊंची इमारतें बन रही हैं। जहां तक पहुंचने के लिए फायर ब्रिगेड के पास लम्बी सीढिय़ां तक नहीं हैं और अग्निशमन केंद्र कम होने के साथ-साथ आधुनिक अग्निशमन वाहनों का भी अभाव है, जिस कारण राहत कार्यों में देर होना स्वाभाविक है। पुराने शहरों में गलियां तंग हैं और समुचित पानी की व्यवस्था भी पूरी नहीं है। अत: आवश्यकता पडऩे पर पानी लेने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले फायर हाईड्रैंट की नियमित जांच करने, 200-200 फुट ऊंची सीढिय़ों और आग बुझाने के लिए फोम छोडऩे वाली आधुनिक गाडिय़ों की व्यवस्था करने, अग्निशमन विभाग में कर्मचारियों की लम्बे समय से चली आ रही कमी दूर करने और स्टाफ को समुचित प्रशिक्षण देने की अविलंब आवश्यकता है। 

इस घटना के वास्तविक कारणों का पता तो विस्तृत जांच होने पर ही चल पाएगा अलबत्ता इतना अवश्य कहा जा सकता है कि इस घटना की जांच जल्दी से जल्दी पूरी की जाए और जांच में दोषी पाए जाने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि दूसरों को सबक मिले तथा भविष्य में इस तरह के नुक्सान से बचा जा सके।—विजय कुमार   


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